A Chronicle of Enlightened Citizenship Movement in the State Bank of India

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Tuesday, February 9, 2010

एक टिमटिमाता दीया

प्रोग्राम बहुत ही प्रेरित करने वाला है. प्रोग्राम के दौरान व पश्चात आत्मचिन्तन करने पर मजबूर कर देता है.

सही रूप से आत्मचिन्तन करने मे एक सप्ताह का समय अप्रयार्प्त है इस कारण मुझे लगता है की मै Citizenship यात्रा मै अभी प्रथम पङाव पर हू. आगे रास्ता काफी शेष है.

इस प्रोग्राम हेतु मुझे Facilitator के रूप मे चुने  जाने से मै बहुत ही गोरवान्वित महसूस कर रहा हू, क्योकि मेरी राय मे यह एक यघ है. यघ हमेशा जनमानस के हित मै किया जाता है तथा इस यघ मै मै पुरोहित हू. मुझे जनमानस मे एक नई प्रेरना जगाने का अवसर मिलना, मुझे आनन्दित कर रहा है.

एक कविता का सार याद आ रहा है:

धरा से दिन भर के सहवास से प्रथा के प्रेम में  
व्याकुल भास्कर ने निभीर्क होकर प्रश्न किया
मै अस्त की और चला हू,
उसके पश्चात इस धरा को कौन प्रकाश देगा,
कौन उर्जा देगा.

काफी देर तक सभी चुप रहे. कोइ उत्तर नही आया पर एक कोने से छीन सी आवाज आइ मै अपनी क्षमता अनुरूप  प्रयास करूगा. वह एक टिमटिमाता दीया  था. मै इस यात्रा मे अपने आपको उस दिये के समकक्ष  पा रहा हू और प्रसन्न हू.

NITIN KULKARNI
Citizen Facilitator
State Bank of Indore

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